आईटी नौकरी छोड़ी, शुरू किया गौ पालन, महज 3 गाय से शुरुआत कर बना लिया करोड़ों का कारोबार
आज एक ऐसे सफल कारोबारी की कहानी ले कर आये हैं जिनके सफलता की कहानी आपको प्रेरित करने के साथ-साथ हैरान भी कर देगी। अपने दस साल के कॉरपोरेट करियर को अलविदा कर इस शख्स ने फार्मिंग करने का फैसला किया। आपको यह जानकर अवश्य ही हैरानी होगी कि जो शख्स 10 सालों से सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में मोटी तनख्वाह पर नौकरी कर रहा होगा वो भला फार्मिंग जैसे क्षेत्र को क्यों चुना? लेकिन यह सच है कि कॉरर्पोरेट दुनिया की अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़ने से पहले इस शख्स ने अपने परिवार की सहमति हासिल की और फिर अपने आइडिया को डेयरी फॉर्म उद्योग की शक्ल देने में जी-जान से जुट गए।
आज हम बात कर रहें हैं संतोष डी सिंह नाम के एक सफल किसान की। बैंगलौर से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद शुरूआती दस साल सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में काम किया। इस दौरान इन्होंने डेल और अमेरिका ऑनलाइन जैसी दिग्गज कंपनियों में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान उन्होने ये जाना कि पैसा कमाने के लिए और भी जरिये हैं जैसे उद्यमियता और यहीं से उनके मन में ख्याल आया डेयरी उद्योग का। हालांकि उस दौर में सूचना प्रोद्योगिकी क्षेत्रों का काफी बोलबाला था, लोग चाहते थे कि इससे संबंधित कोई कारोबार शुरू करें लेकिन ठीक इसके विपरीत संतोष ने डेयरी उद्योग में घुसने का फैसला किया।
संतोष को इस क्षेत्र में कोई खास अनुभव नहीं था इसलिए इन्होंने सबसे पहले राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया। यहाँ इन्होंने गौ पालन के तौर-तरीके सीखते हुए अपनी तीन एकड़ जमीन में तीन गाय से शुरुआत की। इन्होंने गाय को नहलाने से लेकर उनका खाना, दूध निकालना सारा काम अकेले करते थे। कुछ सालों तक गौ पालन करने के बाद संतोष की रूचि बढ़ती चली गई और उन्होंने नबॉर्ड की सहायता से बड़े स्तर पर इस कारोबार को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करने शुरू कर दिए।
संतोष के आत्मबल को मजबूती उस वक़्त मिली जब स्टेट बैंक ऑफ मैसूर ने प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाते हुए निवेश करने का फैसला किया। करीब 20 लाख रुपए के निवेश से उनके काम में तेजी आ गई और उन्होने 100 गायों को रखने के लिए आधारभूत ढांचे पर काम करना शुरू कर दिया।
लेकिन इसी दौरान सबसे बड़ी बाधा उस वक़्त उत्पन्न हुई जब उनके राज्य में अकाल की स्थिति पैदा हो गई और 18 महीनों तक राज्य को सूखे का सामना करना पड़ा। इस दौरान हरे चारे की कीमतें 10 गुना तक बढ़ गईं और दूध के उत्पादन पर भी असर पड़ने लगा। कई डेयरी फॉर्म बंद हो गए, लेकिन संतोष ने हार नहीं मानी और डेयरी के सुचारु संचालन के साथ विपरीत स्थितियों से निपटने के लिए अपनी जमा पूंजी तक झोक दी।
संतोष आज हमारे सामने एक सफल कारोबारी के रूप में खड़े हैं जिनकी आमदनी कई करोड़ रुपयों में हैं। अमृता डेयरी फॉर्म्स आज देश की सफल कृषि स्टार्टअप में से एक है जिसका सालाना टर्नओवर कई करोड़ रूपये में है।
मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद अपनी अच्छी-खासी कॉरपोरेट करियर छोड़ कृषि आधारित स्टार्टअप को शुरुआत करने की सोच रखने वाले संतोष जैसे युवाओं में ही भारत को महाशक्ति बनाने की ताकत है। इनके सोच को सच में सलाम करने की जरुरत है।
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