नौकरी के दौरान सूझा एक आइडिया, शुरू किया अपना कारोबार और 3 वर्ष में ही बन गये 100 करोड़ के मालिक
इसमें कोई दोराय नहीं है कि भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। इस क्षेत्र में नित नए अनुसंधान ने जहाँ एक ओर देश के विकास की गति को बढ़ाया है, वहीं दूसरी ओर अंतराष्ट्रीय मंच पर देश की छवि को भी एक नया पहचान दिलाया। देश में बुनियादी ढांचे की खाई को पाटने की जरूरत को महसूस करते हुए कुछ महत्वाकांक्षी व्यक्तियों ने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़, सूचना प्रौद्योगिकी का सही इस्तेमाल कर करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने के प्रयास शुरू किये।
इन्हीं व्यक्ति में एक हैं दूरसंचार उपकरण प्रदाता तेजस नेटवर्क की आधारशिला रखने वाले संजय नायक। मध्य प्रदेश के एक अच्छे-खासे परिवार से ताल्लुक रखने वाले संजय ने मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने के लिए अमेरिका का रुख किया। सफलतापूर्वक डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने साल 1987 में केडेंस नामक एक आईटी फर्म में अपने कैरियर की शुरुआत की। एक साल तक काम करने के बाद उन्होंने उसी कंपनी की पैठ भारत में बनाने के लिए वापस स्वदेश लौटे। यहाँ काम करते हुए उन्होंने उपकरण और बुनियादी ढांचे में एक बड़ी कमी को महसूस किया और फिर साल 2000 में उन्होंने दूरसंचार उद्योग को सशक्त बनाने के उद्येश्य से अपनी खुद की एक कंपनी शुरू करने का निश्चय किया।
संजय के पास तजुर्बे की कोई कमी तो थी नहीं। उन्होंने तो दूसरी अंतराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारत में विश्व स्तरीय टीमों और उत्पादों का विकास किया था। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती पूंजी को लेकर थी। इसी दौरान उनकी मुलाकात गुरुराज देशपांडे नाम के एक सफल उद्यमी से हुई जो उनकी कंपनी में निवेश करने के लिए राजी हो गये। और फिर जन्म हुआ तेजस नेटवर्क का।
अपने आइडिया के बारे में बात करते हुए संजय नायक बताते हैं कि “मैंने इलेक्ट्रिकल डिज़ाइन ऑटोमेशन (ईडीए) में 13 साल बिताए थे, लेकिन टेलिस्क प्रॉडक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया क्योंकि ईडीए अपेक्षाकृत छोटा उद्योग था। हालांकि उस समय भारत में टेलीडेंसीटी 2% से कम थी और मोबाइल कॉल बेहद महंगे थे, मुझे पता था कि दूरसंचार बढ़ेगा और बड़ी बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यकता होगी।”
यह सच है कि किसी भी शुरूआती कारोबार में एक अत्यंत कुशल मल्टी-आयामी टीम का निर्माण करना हमेशा मुश्किल होता है। कंपनी के ऑपरेशन के पहले वर्ष में ही उन्हें वैश्विक दूरसंचार मंदी का सामना करना पड़ा। साल 2007-2008 की आर्थिक मंदी ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया। उनकी सबसे बड़ी ग्राहक कंपनी नोर्टेल दिवालिया हो गई। और फिर भारत में स्पेक्ट्रम स्कैम ने इंडस्ट्री को बुरी तरह प्रभावित किया। तमाम चुनौतियों के बावजूद संजय ने कभी हार नहीं मानी और अपनी काबिलियत से महज 3 वर्ष में ही कंपनी को 100 करोड़ की क्लब में शामिल करने में सफल रहे।
आज तेजस टेलिकॉम क्षेत्र में दुनिया की सबसे अग्रणी कंपनियों में एक है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तेजस के अग्रणी ग्राहकों में अमेरिका की सिएना कॉरपोरेशन, बीएसएनएल, भारती एयरटेल, एयरसेल समेत कई नामी कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा तेजस नेटवक्र्स उन कंपनियों में से एक है जो भारतनेट को बुनियादी ढांचा मुहैया करा रही है। भारत सरकार की योजना के अंतर्गत तेजस नेटवर्क आने वाले कुछ वर्षों में ब्रॉडबैंक के जरिए 2.5 लाख गांव को इंटरनेट से जोड़ेगा।
वर्तमान में कंपनी 64 करोड़ के सकल लाभ के साथ सालाना 878 करोड़ का रेवेन्यू कर रहा है। हाल ही में कंपनी नए इक्विटी के जरिए 450 करोड़ रुपये जुटाने के लिए आईपीओ भी लाई है।
संजय ने देश के भीतर टेलिकॉम इंडस्ट्री में बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के उद्येश्य से शुरुआत की और आज 60 देशों में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं, उपयोगिताओं, रक्षा और सरकारी संस्थाओं के लिए उच्च-प्रदर्शन और लागत-प्रतिस्पर्धी उत्पादों के एक अग्रणी बिक्रेता हैं।
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