बिना मिट्टी की खेती से आया आइडिया, दो साल में कमा लिए 4 करोड़
चेन्नई के रहने वाले एक शख्स को मिट्टी के बिना खेती का तरीका इतना भाया कि अब उसे अपनी रोजी-रोटी का जरिया बना लिया।
नई दिल्ली. एक ओर जहां लोगों का रुझान खेती की तरफ घट रहा है। वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खेती में लग गए हैं। चेन्नई के रहने वाले एक शख्स को मिट्टी के बिना खेती का तरीका इतना भाया कि अब उसे अपनी रोजी-रोटी का जरिया बना लिया। इस शख्स ने बिना मिट्टी के खेती करने वाले एक स्टार्ट अप की शुरुआत की और उनका टर्नओवर 2 करोड़ तक पहुंच चुका है। यह शख्स हैं चेन्नई के रहने वाले श्रीराम गोपाल।
श्रीराम गोपाल ने moneybhaskar.com से बातचीत में कहा कि 5 साल पहले उनके एक दोस्त ने एक वीडियो दिखाया, जिसमें बिना मिट्टी के खेती का तरीका बताया गया था। मैं इससे काफी प्रभावित हुआ। इस तकनीक में खेत की आवश्यकता नहीं है। बिना मिट्टी के खेती करने वाले इस तरीके का नाम है- हाइड्रोपोनिक्स। इसकी शुरुआत मैंने पिताजी की फैक्टरी से की।
- हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में हर्ब्स बिना मिट्टी की मदद से उगाई जाती हैं। इससे पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों को पानी के सहारे सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है।
-पौधे एक मल्टी लेयर फ्रेम के सहारे टिके पाइप में उगते हैं और इनकी जड़ें पाइप के अंदर पोषक तत्वों से भरे पानी में छोड़ दी जाती हैं।
- मिट्टी न होने की वजह से न छतों पर भार बढ़ता है। वहीं बिल्कुल अलग सिस्टम होने की वजह से छत में कोई बदलाव भी नहीं करने पड़ते।
श्रीराम ने बताया कि उन्होंने सिर्फ 5 लाख रुपए में तीन दोस्तों के साथ मिलकर फ्यूचर फॉर्म्स की शुरुआत की। उनके पिता की पुरानी फैक्ट्री में काफी जगह पड़ी हुई थी। वहां उन्होंने हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने की सोची। उनके पिता की फैक्ट्री में फोटो फिल्म डेवलप करने का काम होता था, लेकिन डिजिटल फोटोग्राफी आने से फैक्ट्री बंद हो गई। यहीं से फ्यूचर फार्म्स की शुरुआत हुई। अब उनकी कंपनी का टर्नओवर 8 करोड़ रुपए सालाना तक पहुंचने की उम्मीद है।
श्रीराम कहते हैं कि बिना मिट्टी की खेती में सामान्य खेती के मुकाबले 90 फीसदी कम पानी लगता है। फिलहाल, हमारी कंपनी हाइड्रोपोनिक किट्स बेचती है। किट्स की शुरुआती कीम 999 रुपए से है। एरिया के हिसाब और जरूरत के मुताबिक किट्स की कीमत तय होती है। इस तकनीक को एक एकड़ में लगाने का खर्च 50 लाख रुपए आएगा। वहीं अगर अपने घर में यदि 80 स्क्वॉयर फुट में इस तकनीक को बिठाने का खर्च 40 हजार से 45 हजार रुपए बैठता है। इसमें 160 पौधे लगाए जा सकते हैं।
श्रीराम बताते हैं कि 2015-16 में कंपनी का टर्नओवर सिर्फ 38 लाख रुपए था, लेकिन एक साल में ही यह बढ़कर 2 करोड़ रुपए हो गया। हमारा कारोबार 300 फीसदी सालाना दर से बढ़ रहा है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के पहले क्वार्टर में टर्नओवर 2 करोड़ रुपए रहा। उम्मीद है इस साल हमारा टर्नओवर 6 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
ट्रांसपरेंसी मार्केट रिसर्च के मुताबिक, ग्लोबल हाइड्रोपोनिक्स मार्केट 2016 में 693.46 करोड़ डॉलर (45,000 करोड़ रुपए) का है और 2025 में इसके 1,210.65 करोड़ डॉलर (78500 करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है।
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