नई दिल्ली. कहते हैं अगर इरादे मजबूत हों, तो किसी तरह की मजबूरी भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। यह कहावतहंटर मूरे परबिल्कुल सटीक बैठती है। मूरे की मजबूरी ऐसी थी कि स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी। 22 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले उसने 26 करोड़ रुपए (40 लाख डॉलर) कमा लिए। मूरे की सफलता की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही प्रेरक भी। तो आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।
12 साल की उम्र में फुटबॉल खेलते वक्त हंटर मूरे की हिप की हड्डी टूट गई। हड्डी टूटने की वजह से वो कुछ सालों तक रेग्युलर स्कूल नहीं जा सके। जब वो 16 साल के हुए तो उनके सिर से पिता का साया उठ गया। पिता के निधन के बाद मूरे का स्कूल जाना लगभग छूट गया और वे घर खर्च को पूरा करने के लिए नौकरी करने लगे।
हंटर मूरे ने शुरुआत में फायर एंड वाटर रेस्टोरेशन कंपनी में काम किया। कंपनी आग और बाढ़ में बर्बाद हुए फर्नीचर को घर से निकालने का काम करती थी। वहीं उनकी बड़ी बहन ने स्टाफिंग कंपनी की शुरुआत की थी, जिसमें नौकरी करने का ऑफर मूरे को मिला। मूरे ने यहां देखा कि लोग एक जगह से दूसरे जगह सामानों को शिफ्ट करने के लिए लॉजिस्टिक कंपनी का सहारा लेते हैं। सामानों को ट्रकों पर चढ़ाने और उतारने के लिए आदमी की जरूरत पड़ती है। यहीं से उनको बिजनेस का आइडिया और उन्होंने अपने बचपन के दोस्त के साथ मिलकर लम्पिंग और लॉजिस्टिक कंपनी मूरे एडवांस्ड की शुरुआत की।
2013 में मूरे दो लोगों के साथ कंपनी की शुरुआत की। एक साल में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 34 हो गई। इस दौरान एक दिन वो रिसाइकलिंग प्लान के दौरे पर गए और यहां उन्हें कुछ और भी सीखने को मिला। उन्होंने महसूस किया कि हरेक क्वार्टर में रिलाइकलिंग प्लांट्स सफाई के लिए बंद किए जाते हैं। उनका दिमाग क्लिक किया और उन्होंने जिस कंपनी में पहली नौकरी की थी, उसकी 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली।
बिजनेस बढ़ने के साथ मूरे ने उस कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीद ली। अब उनकी कंपनी रिसाइकलिंग प्लांट को सर्विस देती है। इंडस्ट्रियल क्लिनिंग सर्विस के तहत वो विभिन्न कंपनियों को सर्विस दे रहे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी कैब एग्रीगेटर कंपनी उबर को अपनी सर्विस दे रहे हैं। 3 साल में उनकी कंपनी का ग्रोथ 2807 फीसदी रहा है। 2016 में कंपनी का रेवेन्यू 40 लाख डॉलर रहा।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.