राजा का सेवक मंदिर गया तो वहां उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, स्त्री ने सेवक से कहा कि पहले कुंड में स्नान कर आओ, फिर जैसा कहोगे, वैसा करूंगी, महल लौटकर सेवक ने पूरी बात राजा को बताई/राजा का सेवक मंदिर गया तो वहां उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, स्त्री ने सेवक से कहा कि पहले कुंड में स्नान कर आओ, फिर जैसा कहोगे, वैसा करूंगी, महल लौटकर सेवक ने पूरी बात राजा को बताई
बेताल ने राजा विक्रम से पूछा कि सेवक और राजा में से किसका पुण्य बड़ा है?
पुराने समय में राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। एक योगी ने राजा विक्रम से कहा कि वह श्मशान में स्थित पीपल के पेड़ से बेताल को उतारकर लाए, उसे बेताल की जरूरत है। योगी की बात मानकर विक्रम बेताल को लाने के लिए श्मशान जाते हैं। बेताल बहुत ही चालाक था। वो हर बार राजा के बंधन से छूट जाता और उसी पेड़ पर जाकर लटक जाता था। बेताल राजा विक्रम को रोज एक कहानी सुनाता था। उन्हीं कहानियों में से एक कहानी यहां जानिए...
किसका पुण्य बड़ा
> बेताल ने कहानी सुनाना शुरू की। बेताल कहता है कि प्राचीन समय में मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसके राजा का नाम गुणधिप था। उसकी सेवा करने के लिए एक राजकुमार आया हुआ था। राजकुमार कोशिश करता रहा, लेकिन राजा से उसकी मुलाकात नहीं हो पा रही थी। जो कुछ वह अपने साथ लाया था, वह सब खत्म हो गया था।
> एक दिन राजा शिकार खेलने जंगल में गया। राजा के पीछे-पीछे वह राजकुमार भी चल दिया। चलते–चलते राजा के सभी सेवक बिछड़ गए। राजा के पीछे वह राजकुमार अकेले चल रहा था।
> राजा ने उसकी ओर देखा और पूछा कि तू इतना कमजोर क्यों हो रहा है?
> युवक ने कहा कि इसमें मेरे कर्म का दोष है। मैं जिस राजा के पास रहता हूं, वह हजारों को पालता है, लेकिन उसकी नजर मेरी ओर नहीं जाती है। उसने राजा से कहा कि मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं। जंगल में उसने राजा की बहुत देखभाल की। अपने साथ खाने-पीने की जो चीजें लेकर आया था, वह राजा को खाने को दी। जंगली जानवरों से राजा के प्राणों की रक्षा की। युवक की मदद से राजा सकुशल अपने राज्य लौट आया।
> राजा ने उसे अपनी सेवा में रख लिया। उसे अच्छे वस्त्र और गहने दिए।
> एक दिन वह राजकुमार किसी देवी मंदिर गया, वहां उसने पूजा की। जब वह बाहर निकला तो उसने देखा कि उसके पीछे एक सुंदर स्त्री चली आ रही है। राजकुमार उसे देखते ही उसकी ओर आकर्षित हो गया। स्त्री ने उससे कहा कि पहले तुम कुंड में स्नान कर आओ। फिर जो कहोगे, वह करूंगी।
> ये सुनकर राजकुमार तुरंत ही कुंड में स्नान करने के लिए उतर गया। उसने जैसे ही गोता लगाया वह अपने नगर में पहुंच गया। उसने पूरी बात राजा को बता दी।
> राजा ने कहा कि ये चमत्कार मुझे भी दिखाओ।
> वह राजकुमार राजा को लेकर उसी मंदिर पहुंच गए। अंदर जाकर दर्शन किए और जैसे ही बाहर निकले कि वह स्त्री प्रकट हो गई। राजा को देखते ही वह स्त्री बोली कि महाराज, मैं आपके रूप पर मुग्ध हूं। आप जो कहेंगे, मैं वैसा ही करुंगी।
> राजा ने कहा कि तू मेरे इस सेवक से विवाह कर ले।
> स्त्री ने कहा कि यह नहीं हो सकता है, मैं आपसे प्रेम करती हूं।
> राजा ने कहा कि सज्जन लोग जो कहते हैं, उसे निभाते हैं। तुम अपने वचन का पालन करो। इसके बाद राजा ने उसका विवाह अपने सेवक से करवा दिया।
> इतनी कहानी सुनाकर बेताल ने विक्रम से कहा कि राजन्, सेवक ने राजा के प्राण बचाए और राजा ने सेवक का विवाह करवाया तो बताओ राजा और सेवक, दोनों में से किसका पुण्य बड़ा हुआ?
> राजा ने कहा कि उस सेवक का।
> बेताल ने पूछा कि ऐसा क्यों?
> राजा विक्रम ने कहा कि उपकार करना राजा का धर्म ही है। इसीलिए उसके उपकार करने में कोई खास बात नहीं है, लेकिन जिसका धर्म नहीं है, अगर वह उपकार करे तो उसका पुण्य बढ़ा माना जाता है।
बेताल ने राजा विक्रम से पूछा कि सेवक और राजा में से किसका पुण्य बड़ा है?
पुराने समय में राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। एक योगी ने राजा विक्रम से कहा कि वह श्मशान में स्थित पीपल के पेड़ से बेताल को उतारकर लाए, उसे बेताल की जरूरत है। योगी की बात मानकर विक्रम बेताल को लाने के लिए श्मशान जाते हैं। बेताल बहुत ही चालाक था। वो हर बार राजा के बंधन से छूट जाता और उसी पेड़ पर जाकर लटक जाता था। बेताल राजा विक्रम को रोज एक कहानी सुनाता था। उन्हीं कहानियों में से एक कहानी यहां जानिए...
किसका पुण्य बड़ा
> बेताल ने कहानी सुनाना शुरू की। बेताल कहता है कि प्राचीन समय में मिथलावती नाम की एक नगरी थी। उसके राजा का नाम गुणधिप था। उसकी सेवा करने के लिए एक राजकुमार आया हुआ था। राजकुमार कोशिश करता रहा, लेकिन राजा से उसकी मुलाकात नहीं हो पा रही थी। जो कुछ वह अपने साथ लाया था, वह सब खत्म हो गया था।
> एक दिन राजा शिकार खेलने जंगल में गया। राजा के पीछे-पीछे वह राजकुमार भी चल दिया। चलते–चलते राजा के सभी सेवक बिछड़ गए। राजा के पीछे वह राजकुमार अकेले चल रहा था।
> राजा ने उसकी ओर देखा और पूछा कि तू इतना कमजोर क्यों हो रहा है?
> युवक ने कहा कि इसमें मेरे कर्म का दोष है। मैं जिस राजा के पास रहता हूं, वह हजारों को पालता है, लेकिन उसकी नजर मेरी ओर नहीं जाती है। उसने राजा से कहा कि मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं। जंगल में उसने राजा की बहुत देखभाल की। अपने साथ खाने-पीने की जो चीजें लेकर आया था, वह राजा को खाने को दी। जंगली जानवरों से राजा के प्राणों की रक्षा की। युवक की मदद से राजा सकुशल अपने राज्य लौट आया।
> राजा ने उसे अपनी सेवा में रख लिया। उसे अच्छे वस्त्र और गहने दिए।
> एक दिन वह राजकुमार किसी देवी मंदिर गया, वहां उसने पूजा की। जब वह बाहर निकला तो उसने देखा कि उसके पीछे एक सुंदर स्त्री चली आ रही है। राजकुमार उसे देखते ही उसकी ओर आकर्षित हो गया। स्त्री ने उससे कहा कि पहले तुम कुंड में स्नान कर आओ। फिर जो कहोगे, वह करूंगी।
> ये सुनकर राजकुमार तुरंत ही कुंड में स्नान करने के लिए उतर गया। उसने जैसे ही गोता लगाया वह अपने नगर में पहुंच गया। उसने पूरी बात राजा को बता दी।
> राजा ने कहा कि ये चमत्कार मुझे भी दिखाओ।
> वह राजकुमार राजा को लेकर उसी मंदिर पहुंच गए। अंदर जाकर दर्शन किए और जैसे ही बाहर निकले कि वह स्त्री प्रकट हो गई। राजा को देखते ही वह स्त्री बोली कि महाराज, मैं आपके रूप पर मुग्ध हूं। आप जो कहेंगे, मैं वैसा ही करुंगी।
> राजा ने कहा कि तू मेरे इस सेवक से विवाह कर ले।
> स्त्री ने कहा कि यह नहीं हो सकता है, मैं आपसे प्रेम करती हूं।
> राजा ने कहा कि सज्जन लोग जो कहते हैं, उसे निभाते हैं। तुम अपने वचन का पालन करो। इसके बाद राजा ने उसका विवाह अपने सेवक से करवा दिया।
> इतनी कहानी सुनाकर बेताल ने विक्रम से कहा कि राजन्, सेवक ने राजा के प्राण बचाए और राजा ने सेवक का विवाह करवाया तो बताओ राजा और सेवक, दोनों में से किसका पुण्य बड़ा हुआ?
> राजा ने कहा कि उस सेवक का।
> बेताल ने पूछा कि ऐसा क्यों?
> राजा विक्रम ने कहा कि उपकार करना राजा का धर्म ही है। इसीलिए उसके उपकार करने में कोई खास बात नहीं है, लेकिन जिसका धर्म नहीं है, अगर वह उपकार करे तो उसका पुण्य बढ़ा माना जाता है।
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